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अंक 40 का बाइबिल में महत्व और मनुष्य के जन्म से संबंधित।
बाइबिल में दिये गए सभी नंबरों का एक विशेष स्थान है, जो कि बार-बार हम उनको देखते हैं बहुत सारे नंबर बार-बार देखने को मिलते हैं, जिसमें 3, 6, 7, 12 और 40 विशेष रुप से वर्णित किए गए हैं। आज हम अंक 40 के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान करेंगे ।
बाईबल में दी गई 40 संख्या का प्रतीकात्मक अर्थ है, जो परमेश्वर के वादे उसकी पूर्ति से जुड़े हुए हैं।
- निर्णय व दुखों को भी संकेत करते हैं, सभी सकारात्मक नहीं है पवित्र शास्त्र बाईबल में अंकित 40 एक महत्वपूर्ण संख्या है यह 40 अंक दिन, सप्ताह, महीने, उम्र और वर्ष के रूप में पाए जाते हैं जिनका मानव जीवन से बहुत ही गहरा संबंध है ।
- मैं आज बाईबल से कुछ महत्वपूर्ण पदों को आपके समक्ष रखूंगा वैसे तो बाइबिल में लगभग 157 पद अंक 40 के विषय में वर्णन करते हैं जिसमें से कुछ उदाहरण यहां पर प्रस्तुत है ।
नूह के दिनों में 40 दिन और 40 रात बारिश का होना । उत्पत्ति 7:4
- इस्राएल में मन्ना खाया और 40 वर्ष तक जंगल में भटकते रहे । निर्गमन 16:35
- मूसा बिना रोटी खाए 40 दिन और 40 रात पहाड़ पर परमेश्वर के साथ रहा निर्गमन 24:18, 34:28
- जासूसों ने कनान देश में 40 दिनों तक खोजबीन की । गिनती 13:25
- अधिकतम कोड़े मारे जाने की सजा 40 कोड़े थी । व्यवस्थाविवरण 25:3
- इस्राएल में एक न्यायी थे अब्दोन उनके 40 पुत्र थे । न्यायियों 12:14
- इस्राएल ने फिर से बुराई की परमेश्वर ने उन्हें 40 वर्ष के लिए पलीस्तियों के हाथों कर दिया । न्यायियों 13:1
अंक 40 का बाइबिल में महत्व और मनुष्य के जन्म से संबंधित।
- एली ने 40 वर्ष तक इसराइल का न्याय किया । 1 सैमुअल 4:18
- गोलियत इस्रालियों को 40 दिनों तक ललकारता रहा 1 सैमुअल 17:16
- शाऊल ने 40 वर्ष तक राज्य किया । प्रेरितों 13:21
- शाऊल का बेटा 40 वर्ष का था जब उस ने इस्राएल पर शासन करना आरंभ किया । 2 सैमुअल 2:10
- दाऊद ने इस्राएल पर 40 वर्षों तक राज्य किया । 2 शमुएल 5:4, 1 राजा 2:11
- सुलेमान ने अपने पिता के समान लंबे समय तक राज्य किया 40 वर्ष तक 1 राजा 11:42
मंदिर का पवित्र स्थान 40 हाथ लंबा था । 1 राजा 6:17
- एलिय्याह ने 1 बार भोजन किया और उसे 40 दिनों तक बल मिलता रहा । 1 राजा 19:8
- यहेजकेल 40 दिन तक यहूदा के घराने के अधर्म को सहता रहा । यहेजकेल 4:6
- जब अत्याचार बड़ा तो मिस्र को 40 वर्ष तक उजाड़ कर दिया गया । यहेजकेल 29:11-12
- परमेश्वर ने नीनवे को मन फिरने के लिए 40 दिन ही दिए । योना 3:4
- यीशु ने 40 दिन और 40 रात उपवास किया । मती 4:2
- यीशु की परीक्षा 40 दिनों तक की गई । लुका 4:2 मरकुस 1:13
- यीशु जी उठने के बाद 40 दिन तक पृथ्वी पर रहा । प्रेरितों के काम 1:3
- मानव जीवन से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य अंक 40 के विषय में :
वैज्ञानिक व चिकित्सीय गणना के अनुसार बच्चे का गर्भ में विकास :
- क्या हमने विचार किया है कि जब बच्चा मां के गर्भ में पनपता है तो किस प्रकार उसके अंगों का विकास होता है जो हर 40 दिन के अंतराल पर निरंतर होता रहता है और बच्चे के जन्म लेने से पहले 40 दिन का चक्र चलता है जिसमें बच्चे के अंगों का विकास हर 40 दिन के पश्चात होता जाता है।
- इस प्रकार हम देखते हैं कि जब बच्चा मां के गर्भ में ठहरता है, उस समय भी परमेश्वर 40 अंक को कैसे हर 40 दिन के अंतराल को कैसे पूरा करता है।
- इसका मतलब 40 अंक मनुष्य के जीवन पर भी प्रभाव डाल सकता है, बस उसको समझे कि वह किस प्रकार हमारे जीवन पर जीवन पर प्रभाव डालता है, अनेकों बार जीवन में यह अंक 40 प्रभावी होता है परंतु हम कभी उस पर ध्यान ही नहीं देते पवित्र शास्त्र बाइबल में दिए गए सभी अंकों का मानव जीवन से गहरा संबंध है ।
परमेश्वर ने बच्चे के गर्भ धारण करने से लेकर जन्म लेने के समय तक इसको 7 चरणों विभाजित किया है, जो कि प्रत्येक 40 दिन के पश्चात शुरू होता है, आओ इसे समझने का प्रयास करें कि परमेश्वर के द्वारा कैसे अंक 40 एक बच्चे की उत्पत्ति से भी संबंध कायम किये हुए है ।
प्रथम चरण :
- गर्भ धारण करने के 40 दिन पश्चात 6 वें सप्ताह में-
- प्रथम चरण में मां के गर्भ में भ्रूण की नाक, मुंह और कान आकार लेने शुरू हो जाते हैं, और आंतें और मस्तिष्क विकसित होने लगता है । प्रथम चरण से ही भ्रूण का विकास शिशु के रूप बनना आरम्भ होता है ।
दूसरा चरण:
- अगले 40 दिन पश्चात यानि 80 दिन, 12 वें सप्ताह में-
- दूसरे चरण में शिशु की सजगता (हलचल) शुरू होती है: उसकी उंगलियां जल्द ही खुलने और बंद होने लगती हैं, पैरों की उंगलियां मुड़ने लगती हैं, और शिशु मुंह चूसने की हरकत करने आरम्भ करता है । हालाँकि मां अभी तक उसकी हरकतों को महसूस नहीं कर सकती है ।
तीसरा चरण:
- अगले 40 दिन पश्चात यानि 120 दिन, 18 वें सप्ताह में-
- तीसरे चरण में शिशु अपनी बाहों और पैरों को मोड़ मोड़ना आरम्भ करता है, तथा शिशु की उन हरकतों को मां महसूस करने लगती है । आंतरिक रूप से, उसकी नसों के चारों ओर माइलिन की एक सुरक्षात्मक परत भी बनने की प्रक्रिया आरम्भ हो जाती है ।
चौथा चरण:
- अगले 40 दिन पश्चात यानि 160 दिन, 23 वें सप्ताह में-
- चौथे चरण में बच्चे के कान आवाजें सुनने में बेहतर और तैयार होते हैं । जन्म के बाद, वह गर्भ के बाहर होने वाली कुछ आवाजों को पहचान सकता है, जो वह अब अंदर मां के गर्भ में सुन रहा होता है ।
पांचवा चरण:
- अगले 40 दिन पश्चात यानि 200 दिन, 29 वें सप्ताह में-
- पांचवें चरण में बच्चे की मांसपेशियां और फेफड़े बाहरी दुनिया में काम करने के लिए तैयार होने आरम्भ हो जाते हैं, और उसका सिर उसके विकासशील मस्तिष्क के लिए जगह बनाने के लिए बढ़ना भी आरम्भ कर देता है।
छटवां चरण:
- अगले 40 दिन पश्चात यानि 240 दिन, 35 वें सप्ताह में-
- छटवें चरण में बच्चा गर्भ के अंदर सूंघने की प्रक्रिया आरम्भ करता है, साथ ही बच्चे की किडनी पूरी तरह से विकसित हो चुकी होती है, और उसका लीवर कुछ अपशिष्ट उत्पादों को प्रोसेस कर सकता है ।
सातवां चरण:
- अगले 40 दिन पश्चात यानि 280 दिन, 40 वें सप्ताह में-
- सातवें चरण के पश्चात या ऐसा भी कह सकते हैं कि परमेश्वर द्वारा निर्धारित किये गए 40 दिन (अंक 40) का चक्र 40 सप्ताह के बाद बच्चे का शारीरिक विकास पूरा हो चुका होता है, अब वह परमेश्वर की बनाई सृष्टि में आने (जन्म लेने) के लिए पूर्ण रूप से तैयार होता है ।
- ऐसा प्रतित होता है कि परमेश्वर अंकों के माध्यम से मनुष्य को कोई संदेश दे रहे है । आने वाले समय में बारी-बारी से सभी अंकों के विषय में अध्ययन करेंगे, और जानेंगे कि इन अंको के माध्यम से परमेश्वर मनुष्य को क्या संदेश देना चाहते हैं ।
- यदि आप बाईबल में वर्णित अंकों के अध्ययन के विषय में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो रेव्ह. बिन्नी जॉन “शास्त्री जी” से सम्पर्क कर सकते हैं ।
रेव्ह. बिन्नी जॉन “शास्त्री जी”
Bible Verses For Hope & Strength
यूट्यूब पर वीडीओ देख कर आपको और भी अच्छे से समझ सकते हैं। https://youtu.be/ShXsA5_d6bE